व्यथित हृदय के मरूक्षेत्र में जन्मा एक
बीज प्रेम का
हर्षित हुई प्रकृति धरा तब
सौभाग्य था मानव जीवन का
चंचल मन स्वप्न में लीन हुआ
चहक उठा अंग-अंग तन का
देख तुझे ओ । प्रियंका
नयनों के सुरमयी क्षेत्र कामुकता का
प्रवाह हुआ
हृदय के झंकृत तारों में व्याकुलता का
आभास हुआ
सुगंधित हो उठी सांसे
ढीला पड गया बंधन मन का
देख तुझे ओ । प्रियंका
बीज प्रेम का
हर्षित हुई प्रकृति धरा तब
सौभाग्य था मानव जीवन का
चंचल मन स्वप्न में लीन हुआ
चहक उठा अंग-अंग तन का
देख तुझे ओ । प्रियंका
नयनों के सुरमयी क्षेत्र कामुकता का
प्रवाह हुआ
हृदय के झंकृत तारों में व्याकुलता का
आभास हुआ
सुगंधित हो उठी सांसे
ढीला पड गया बंधन मन का
देख तुझे ओ । प्रियंका
व्यथित हृदय में तुम प्रेम
आभास हो
अमावस्या में तुम प्रकाश हो
मरणशय्या पर अंतिम सांस हो
चुभता है एक शुल हमेशा
कब आयेगी घडी मिलन का
देख तुझे ओ । प्रियंका
my fvt poem,,,,nice
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