शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

देख तुझे ओ । प्रियंका --------

व्यथित हृदय के मरूक्षेत्र में जन्मा एक
          बीज प्रेम का
हर्षित हुई प्रकृति धरा तब 
      सौभाग्य था मानव जीवन का
चंचल मन स्वप्न में लीन हुआ
      चहक उठा अंग-अंग तन का
            देख तुझे ओ । प्रियंका


नयनों के सुरमयी  क्षेत्र कामुकता का 
     प्रवाह हुआ 
हृदय के झंकृत तारों में व्याकुलता का
        आभास हुआ 
सुगंधित हो उठी सांसे 
ढीला पड गया बंधन मन का  

            देख तुझे ओ । प्रियंका


व्यथित हृदय में तुम प्रेम 
   आभास हो
अमावस्या में तुम प्रकाश हो
मरणशय्या पर अंतिम सांस हो
चुभता है एक शुल हमेशा 
कब आयेगी घडी मिलन का 
            देख तुझे ओ । प्रियंका


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